कृष्ण कृपा मिशन
चैरिटेबल ट्रस्ट

प्रेममूर्ति पूज्यसंत श्रीरामानुज सम्प्रदायाचार्य स्वामी लक्ष्मणदास जी महाराज

जीवन परिचय-
  जन-जन में श्री राधा-भाव भरते हुए श्रीकृष्ण-भक्ति की क्रान्ति लाने वाले प्रेममूर्ति पूज्यसंत श्रीरामानुजसम्प्रदायाचार्य
स्वामी लक्ष्मणदास जी महाराज

जीवन यात्रा -
 आध्यात्मिक जगत में जन-जन के मानस पटल पर छाए हुए परम पूज्य प्रातः स्मरणीय प्रेममूर्ति पूज्यसंत श्रीरामानुजसम्प्रदायाचार्य स्वामी लक्ष्मणदास जी महाराज निरंतर समाज-सेवा एवं राष्ट्र-सेवा में तत्पर रहते हैं। आपश्री के मुखारविंद से श्रीम‌द्भागवत कथा हो या श्रीराम कथा; जिस भी शहर, जिस भी नगर में हो रही होती है, वहाँ हजारों एवं लाखों की संख्या में क्या वृद्ध, क्या युवा, क्या नर, क्या नारी सभी लोगों का समूह उमड़ पड़ता है। उन लाखों की संख्या में बैठे हुए प्रत्येक श्रद्धालु को ऐसा लगता है मानो यह वाक्य, यह कथा, यह शब्द आपने उनके लिए ही कहा हो। 
   वास्तव में आपका संत स्वरूप, करुणा स्वरूप और आपकी सहजता, आपकी सरलता ऐसी है कि एक बार कोई आपके श्रीमुख से कथा श्रवण कर ले तो वह फिर आपका ही हो जाता है। संपूर्ण विश्व में आज आपके लाखों परम भागवत श्रीवैष्णव शिष्य परिकर हैं।
   आपश्री का जन्म माँ गंगा जी के विश्व प्रसिद्ध अस्सी घाट, वाराणसी के एक संपन्न सावर्ण्य गोत्रीय प्रकाण्ड विद्वान परम भागवत के घर हुआ। आपश्री की बाल्यावस्था दो ढाई वर्ष की थी तभी बृज की पावन धरा श्रीवृंदावन धाम में श्रीरंगजी मंदिर प्रांगण में आगमन हुआ और वहाँ का अद्भुत संस्कार, संतों का सानिध्य, श्रीबाँके बिहारी जी का दर्शन, प्रत्येक संतों के श्रीचरणों में साष्टांग दंडवत प्रणाम करना; यहीं से आपके जीवन में धर्म, अध्यात्म और भारतीय संस्कृति का समावेश होने लगा। 
   आपश्री मात्र 4 वर्ष की बाल्यवस्था में ही अपने पूज्य सद्‌गुरूदेव सन्तकुल भूषण प्रातः स्मरणीय श्री श्री 1008 स्वामी कमलनयनाचार्य जी महाराज (श्री विजय राघव मन्दिर, विभीषण कुण्ड, श्रीअयोध्या धाम) द्वारा श्रीकृष्ण-शरणागति प्राप्त कर श्रीकृष्ण-कृपा की अ‌द्भुत अनुभूति प्राप्त करते हुए जन मानस को वही श्रीकृष्ण-कृपा रूपी प्रसाद का वितरण श्रीराम कथा एवं श्रीमद्भागवत कथा और भावपूर्ण भजनों के माध्यम से करा रहे हैं।
   आपने अपनी शिक्षा, श्रीमद्भागवत जी की श्रीवृंदावन धाम से प्राप्त की एवं श्रीअयोध्या जी की पावन धरा में उत्तर भारत के प्रकाण्ड विद्वान छोटी छावनी, श्री अयोध्या जी के परम पूज्य प्रातः स्मरणीय आचार्यप्रवर श्री कृपाशंकर जी रामायणी जी एवम् श्री हरिद्वार धाम के परम पूज्य प्रातः स्मरणीय भागवत-भूषण जम्मू-कश्मीर पीठाधीश्वर श्रीरामानुज सम्प्रदायाचार्य स्वामी पुरूषोत्तमाचार्य जी महाराज जी के श्रीचरण कमलों में श्रीरामचरित मानस एवं श्रीमद्भागवत का गूढ़ अध्ययन किया।
  बाल्यावस्था से ही आप संतो के लाडले रहे, इसी कारण आपश्री को पूज्य संत महापुरुषों ने “प्रेममूर्ति” शब्द से समलंकृत किया। आपश्री अपने जीवन के 27 वर्षों के विशद अध्ययन एवं स्वाध्याय के पश्चात् तीर्थराज प्रयागराज की पावन धरा प्रतापगढ़ से श्रीराम कथा और श्रीमद्भागवत कथा का वाचन शुरू किया एवं उसी कथा से आपके गुरुजनों ने एवं संतजनों ने स्वीकार किया कि आपका जन्म सनातन संस्कृति के प्रचार-प्रसार एवं धर्म रक्षा के लिए ही हुआ है; तत्पश्चात् आपश्री ने अनवरत श्रीराम कथा, श्रीमद्भावत कथा, श्रीकृष्ण कथा आदि का भारत ही नहीं अपितु संपूर्ण विश्व में आस्था टीवी के माध्यम से वाचन किया। 
 अभी तक आपने 400 से ऊपर आध्यात्मिक कार्यक्रमों का भव्य संयोजन किया है। साथ ही आपके पावन सानिध्य में संचालित “कृष्ण कृपा मिशन चैरिटेबल ट्रस्ट” जो कि लगातार दीन-हीन जनों की, वृद्ध-बुजुर्गों की एवम् गोवंश की सेवा में लगा हुआ है; “हर-घर सुख, शांति और समृद्धि प्रकल्प” के अन्तर्गत सर्व मनोकामना स्फटिक श्री यन्त्र एवं सिद्ध गोल्ड प्लेटेड श्री महालक्ष्मी यन्त्र प्रदान कर रहा है।
 आपका और ट्रस्ट का एक विशेष महत्वपूर्ण संकल्प "श्री वृन्दावन बिहारी जी" का पावन मंदिर पतित पावनी माँ भागीरथी गंगा जी के तट श्री हरिद्वार धाम की धरा पर लाने का है, जो कि यथाशीघ्र श्रीराधाकृष्ण जी की कृपा से संभव होगा।
 

निवेदक - कृष्ण कृपा मिशन चैरिटेबल ट्रस्ट ( रजि.) 


कृष्ण कृपा मिशन चैरिटेबल ट्रस्ट

प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में एक ही अभिलाषा होती है कि हमें सुख, संपत्ति और शांति कैसे मिले। हमें आत्मिक सुख कैसे मिलेगा, भगवतभक्ति रूपी संपत्ति कैसे मिलेगी और मानसिक शांति कैसे मिलेगी? केवल एक ही माध्यम है जहाँ हमें सुख, संपत्ति और शांति मिलेगी, वह है हमारे प्रभु श्रीराधाकृष्ण जी की कृपा। केवल श्रीकृष्ण कृपा में ही वह शक्ति है जो हमारे नीरस जीवन को रसमय बना सकती है। प्राणीमात्र को भगवान श्रीकृष्ण जी की कृपा और उनका प्रेम प्राप्त करने का पूरा अधिकार हो और हर मनुष्य मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम जी की तरह मर्यादित जीवन व्यतीत करें। प्रेममूर्ति पूज्यसंत श्रीरामानुजसम्प्रदायाचार्य स्वामी लक्ष्मणदासजी महाराज जी बाल्यावस्था से ही सेवा-भाव में डूबे रहते थे। चाहे गुरुजनों की सेवा हो चाहे वृद्धजनों की सेवा; सेवा तो सेवा ही है। सेवा का संस्कार पूज्य स्वामी जी ने बाल्यावस्था से ही प्राप्त कर लिया था और निरंतर वर्षों तक सेवा करते रहे। पूज्य स्वामी जी ने जब अपनी कथा यात्रा तीर्थराज प्रयाग क्षेत्र से 2009 में प्रारंभ की तो उसके पश्चात वर्षों तक कथा के माध्यम से ही गायों की सेवा, गरीब कन्याओं के विवाह के लिये धन एकत्रित करना तथा बीच-बीच में समय निकाल कर वृद्धाश्रम जाकर वृद्ध बुजुर्गों के लिए व्यवस्था के लिए प्रयासरत थे। परंतु इतने से आपके मन में सेवा की संतुष्टि नहीं आ रही थी। लग रहा था मानो मैं सही से सेवा कर नहीं पा रहा हूँ। परंतु एक समय आया जब भारतवर्ष के सुदूर प्रांतों में पिछड़े क्षेत्रों में कथा आदि के लिए गए तब आपने महसूस किया कि आज भी भारतवर्ष के प्रतिभावान बालक-बालिका शिक्षा के अभाव में जी रहे हैं, वृद्ध बुजुर्गों की सेवा नहीं हो पा रही है, जो गोवंश श्री ठाकुर जी के प्राण आधार हैं उन गोवंशो की सेवा नहीं हो रही है। उन्हें व्यवसाय की दृष्टि से देखा जा रहा है। तब जाकर हृदय में बड़ी पीड़ा उत्पन्न हुई और अपने प्राणधन श्री वृन्दावन बिहारी जी को स्मरण कर चिंतन किया कि कैसे वृहद् स्वरूप में सभी की सेवा की जा सके। गहन चिंतन के बाद मन में आया कि इन सब की सेवा श्रीकृष्ण-कृपा के माध्यम से ही संभव है और तभी आपने 25 जनवरी 2014 को “कृष्ण कृपा मिशन चैरिटेबल ट्रस्ट” का हरिद्वार में गठन किया और प्रत्येक वर्ष सेवा का दायरा बढ़ता चला गया। फिर आपने तभी से ट्रस्ट के माध्यम से सैकड़ों गरीब कन्याओं के विवाह का आयोजन करवा रहे हैं एवं ट्रस्ट के द्वारा प्रतिभावान विद्यार्थियों के विद्या अध्ययन के लिए समुचित व्यवस्था भी कर रहे है; साथ ही साथ जो गोवंश सनातन धर्म के स्तंभों में से है आज उनका पतन हो रहा है, उन्ही गोवंश के लिए ट्रस्ट के द्वारा उत्तराखंड की पवित्र धरा पर विशाल गौशाला का भी निर्माण कराया जा रहा है। पूज्य स्वामी जी के प्राणधन श्री वृंदावन बिहारी जी का भव्य मंदिर (सम्पूर्ण ब्रज-दर्शन के स्वरूप में) पतित पावनी मां भागीरथी गंगा जी के तट हरिद्वार की पावन धरा पर निर्माणाधीन है। ऐसा अद्भुत और अद्वितीय मंदिर जहाँ समाज के प्रत्येक वर्ग के लिए एक स्थान होगा, जहाँ जाकर दर्शन प्राप्त कर जीवन के सारी परेशानियों को दूर कर सकेंगे। साथ ही उन वृद्ध बुजुर्गों के लिए भी एक स्थान जहाँ वह गंगा मैया के पावन सानिध्य में श्री वृंदावन बिहारी जी के दर्शन कर अपने जीवन को प्रसन्नता पूर्वक व्यतीत कर सकेंगे।


151

Kanya Vivah

525

Child Education

409

Katha

10000

Help People

How Can You Help

Live DONATE